More stubble burning in Punjab, more pollution in Haryana: पंजाब में ज्यादा पराली जली, हरियाणा में प्रदूषण अधिक: किसानों को ₹1200 प्रति एकड़ मिलेंगे, जलाने पर FIR और जुर्माना

पंजाब में ज्यादा पराली जली, हरियाणा में प्रदूषण अधिक: किसानों को ₹1200 प्रति एकड़ मिलेंगे, जलाने पर FIR और जुर्माना

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More stubble burning in Punjab, more pollution in Haryana:

More stubble burning in Punjab, more pollution in Haryana: पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है, जबकि हरियाणा में कम मामले दर्ज हुए हैं। इसके बावजूद, हरियाणा के तीन शहर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गए हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बहादुरगढ़, धारूहेड़ा और फतेहाबाद इस सूची में शीर्ष पर हैं।

पंजाब में अब तक 730 स्थानों पर पराली जलाई जा चुकी है, वहीं हरियाणा में केवल 60 मामले सामने आए हैं। हरियाणा सरकार द्वारा पराली जलाने पर की गई सख्ती और उठाए गए कदमों के कारण इन घटनाओं में कमी आई है।

हरियाणा में प्रदूषण का उच्च स्तर उद्योग और पराली जलाने, दोनों को ही इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है। यह स्थिति तब है जब पंजाब में पराली जलाने के अधिक मामले दर्ज हुए हैं।

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि वर्तमान मौसम स्मॉग बनने के लिए अनुकूल है। जब रात का तापमान कम होता है और वातावरण में नमी होती है, तो हवा में फैला धुआं ऊपर नहीं उठ पाता और स्मॉग का रूप ले लेता है।

डॉ. खीचड़ ने यह भी जानकारी दी कि 28 और 29 अक्टूबर को एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ दस्तक देगा, जिसके कारण हरियाणा में बादल छाए रहेंगे।


हरियाणा सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए पांच-सूत्रीय कार्ययोजना लागू की है, जिसमें किसानों को प्रोत्साहन और उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। इस योजना के तहत पराली का प्रबंधन करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1200 रुपये दिए जाएंगे, जबकि पराली जलाने पर जुर्माना और एफआईआर दर्ज की जाएगी।

प्रदेश सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए नंबरदारों, पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय की है। सभी उपायुक्तों को पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। विशेष रूप से पिछले तीन वर्षों में जिन गांवों में पराली जलाने के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं, उन पर कड़ी नजर रखी जाएगी।

धान की कटाई के बाद पराली न जलाने को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (AQMC) और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के सुझावों पर एक व्यापक कार्ययोजना बनाई गई है। इसके तहत, पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को अब 1000 रुपये के बजाय 1200 रुपये प्रति एकड़ की राशि प्रदान की जाएगी। प्रत्येक गांव में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जिसमें 50 से अधिक किसानों के लिए एक नोडल अधिकारी होगा।

पराली निपटान के लिए पुरानी फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। सरकार छोटे और सीमांत किसानों के लिए पराली निपटारा में काम आने वाली मशीनों को किराया मुक्त करने की भी योजना बना रही है। राजस्व विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी नंबरदार या पंचायत सदस्य पराली न जलाए, और किसी भी असहज स्थिति से निपटने के लिए पुलिस की सहायता ली जाएगी।

फसल अवशेष जलाने पर जुर्माना लगाने के साथ-साथ एफआईआर भी दर्ज की जा रही है। पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों पर प्रति घटना 30,000 रुपये, दो से पांच एकड़ जमीन वाले किसानों पर 10,000 रुपये और इससे कम जमीन वाले किसानों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। बार-बार फसल अवशेष जलाने पर किसान को अगले दो सीजन तक अपनी फसल बेचने से भी रोका जाएगा।